माना दुनिया पर एक आफ़त आई है,
पर इसी ने तो इंसानियत की रूह मेहकाई है,
तू मौत का डर खुद में क्यों बोता है,
ऐ दिल तू क्यों रोता है।
यह ज़िन्दगी का सफ़र है, ऐ दिल,
इसे ना कोई समझा है, ना कोई जाना है
मौत के बाद जन्नत मिलने की क्या चाह हमें,
हमने तो इस संसार को ही जन्नत बनाना है,
तू अभी से ही निराशा की बाहों में क्यों सोता है,
ऐ दिल तू क्यों रोता है।
एक कपटी ने चली चाल अपने प्यादे की,
और जान गई एक बेकसूर शहज़ादे की,
खून हुआ था उसका, पूरी क़ायनात यह बात जानती है,
बेजिस्म रूह इंसाफ़ की घड़ी ताकती है,
तू अभी से ही ख़ुदा पर से भरोसा क्यों खोता है,
ऐ दिल तू क्यों रोता है।
तुझसे ही तो शुरू हुआ था ज़िन्दगी का अफसाना,
तुझपर ही खत्म होगा, यह तूने क्यों न जाना,
हँसते हुए पूरा करेंगे इस कहानी को,
वक़्त आने पर अलविदा कह देंगे इस ज़िंदगानी को,
तू अभी से ही उस घड़ी को क्यों सोचता है,
ऐ दिल तू क्यों रोता है।
By: Tejkirat Singh Sukhija.
U understand life well. Keep it up👍
Proud of u tej.... baakamaal
This is so good tejikirat
Awesome kirat...you write so well..loved it
Woah nice one...tej.. impressive